स्वयं सोचिए और समझिए !
किसी भी जंतु या जीव के शरीर में खाए गए खाद्य पदार्थों का पाचन के उपरांत शोषण होता है। यानी शरीर के उपयोगी तत्वों का अवशोषित किया जाता है। हम यह भी कह सकते हैं कि भोजन के पाचन के बाद उपयोगी तत्वों का अवशोषण करके शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त द्वारा पहुंचाया जाता है।
लेकिन खाद्य पदार्थ में बहुत से हानिकारक वस्तुएं या तत्व या बैक्टीरिया वायरस या अन्य बहुत कुछ होता है। कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन भी मिले होते हैं। कुछ शरीर के लिए अच्छे होते हैं जिनका शरीर द्वारा उपयोग कर लिया जाता है और उपयोग के बाद जो भी कुछ अनुपयोगी बनता है यानी जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। उसे मूत्र के द्वारा या फिर मल के द्वारा शरीर से बाहर कर दिया जाता है।
अब जब मनुष्य, गाय, घोड़ा या दूसरे पशु- पक्षी या अन्य जीव जंतु के लिए शरीर से त्यागे गए मल - मूत्र उसके लिए खुद उपयोगी नहीं है तो फिर वह दूसरे जीव - जन्तु या मानव के लिए कैसे उपयोगी हो सकता है ??
हमें बहुत ही साफ और शुद्ध शब्दों में यह समझना चाहिए कि मल-मूत्र किसी भी प्रकार से दूसरे जीव जंतुओं के लिए लाभदायक नहीं है।
दूसरे जीव के मल मूत्र में तमाम तरीके के भारी रसायन अकार्बनिक रसायन या अकार्बनिक रसायन या बैक्टीरिया या वायरस हो सकता है जो मानव शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
ऐसी हालात में हमें किसी भी प्रकार से किसी दूसरे जीव का मल मूत्र किसी भी स्थिति मे प्रयोग नहीं करना चाहिए।
उपरोक्त जानकारी हर विद्यार्थी को है जिसने किसी भी जीव जंतु के पाचन तंत्र का अध्ययन किया है।
जय भारत !
जय जय जय !
"विनोद सचान"