BBC- HINDI के समाचार के अनुसार
भारत: दवाओं के परीक्षण से दो साल में 1144 मौतें
बुधवार, 22 अगस्त, 2012 को 16:00 IST
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 और 2011 में दवाइयों के परीक्षणों में मारे गए लोगों में 1106 लोग ऐसे थे जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के मरीज थे.
दरअसल बाजार में लाए जाने से पहले नई दवाइयों का मरीजों पर परीक्षण किया जाता है, ताकि इसके असरदायक होने या इससे होने वाले किसी प्रकार के संभावित दुष्प्रभावों का पता चल सके.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में अपने लिखित जवाब में बताया, “दवाओं के परीक्षण से गंभीर बीमारी से ग्रस्त वर्ष 2010 में 668 और 2011 में 438 लोगों की मौत हुई है.”
दवाओं का गलत प्रयोग
स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीजों की मौत की वजह दवाओं के गलत प्रभाव या इस्तेमाल हो सकता है.
"दवाओं के परीक्षण से गंभीर बीमारी से ग्रस्त वर्ष 2010 में 668 और 2011 में 438 लोगों की मौत हुई है."
गुलाम नबी आजाद
आजाद ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की स्थाई समिति ने अपने रिपोर्ट में सेंट्रल ड्रग्स स्टैडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के काम काज के तरीकों और दवाओं को स्वीकृति दिए जाने की प्रक्रिया में कई खामियां चिन्हित की.
पीटीआई के अनुसार आजाद ने कहा, “स्थाई समिति मीडिया में आई उन खबरों का भी अवलोकन किया है जो गरीबों पर दवाओं के परीक्षण के तौर-तरीको और इस प्रक्रिया में होने वाली मौतों के मामलों से संबंधित है.”
परीक्षण में शामिल होने वाले मरीजों की सुरक्षा के बारे में बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “देश में दवाओं के परीक्षण के लिए प्रयोग किए जाने वाले लोगों की सुरक्षा से संबंधित कई मामले सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाइकोर्ट में लंबित हैं
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