आज हर कस्बे में कूड़ा के ढेर जलाते हुए मिल जायेगे। आखिर कब तक इस तरह से कानून ही नहीं मानव जीवन से खिलवाड़ चलता रहेगे। लगातार प्रदिशन की नियंत्रण की बाते करते हुए कानून बनाने वाले आखिर कतो नहीं करते शर्म ? कारन क्या है ?
मै एक छोटे से कसबे में रह रहा हूँ और कभी भी जल्दी सुबह निकालता हूँ तो जगह- जगह कूड़े के ढेर जलाते हुए मिल जाते है। कभी भी इस और ना तो मिडिया का ध्यान जाता है और न ही अधिकारिओ का। आखिर क्यों आँख चुराते रहते है और जलवाते रहते है मानव जीवन की होली ?
जब कभी कानपुर जैसे बड़े महानगर में भी कूड़ा जलने और जलाने की खबरे भी आती रहती है। फिर भी नसीहत नहीं ले पाते है सरकारी अधिकारी। जरुरत भी नहीं समझाते इस मुद्दे को लेकर चर्चा करने की। और सरकारे भी नहीं समझती है कुछ करने की।
आज जरुरत पद रही है की इन सभी अधिकारिओ और कर्मचारियो को सफाई से सम्बंधित प्रशिक्षण की। इन्हें बताया जाए किस प्रकार से कूड़े का परिवहन किया जाए और कैसे इसका निस्तारण किया जाए।
मै एक छोटे से कसबे में रह रहा हूँ और कभी भी जल्दी सुबह निकालता हूँ तो जगह- जगह कूड़े के ढेर जलाते हुए मिल जाते है। कभी भी इस और ना तो मिडिया का ध्यान जाता है और न ही अधिकारिओ का। आखिर क्यों आँख चुराते रहते है और जलवाते रहते है मानव जीवन की होली ?
जब कभी कानपुर जैसे बड़े महानगर में भी कूड़ा जलने और जलाने की खबरे भी आती रहती है। फिर भी नसीहत नहीं ले पाते है सरकारी अधिकारी। जरुरत भी नहीं समझाते इस मुद्दे को लेकर चर्चा करने की। और सरकारे भी नहीं समझती है कुछ करने की।
आज जरुरत पद रही है की इन सभी अधिकारिओ और कर्मचारियो को सफाई से सम्बंधित प्रशिक्षण की। इन्हें बताया जाए किस प्रकार से कूड़े का परिवहन किया जाए और कैसे इसका निस्तारण किया जाए।
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